सेना के तीनों विंग परेड में अपनी शक्ति का भी प्रदर्शन करेंगे। पहली बार है जब एक साथ कई स्वदेशी हथियारों और तकनीक का भी प्रदर्शन होगा। इस मौके पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी (Abdel Fatttah El-Sisi) बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। आइए जानते हैं कि इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में किन-किन हथियारों का प्रदर्शन होगा? इन हथियारों की क्या खासियत है?
तय कार्यक्रम के अनुसार, गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9:51 पर नेशनल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ होगी। इसके बाद सलेयूटिंग डायस पर वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत करेंगे। राष्ट्रपति मुर्मू सुबह 10:30 बजे ध्वजारोहण करेंगी। इसके बाद कर्तव्य पथ पर परेड की शुरुआत हो जाएगी।
मेजर जनरल भवनीश कुमार ने कहा कि परेड की शुरुआत दिल्ली के विजय चौक से सुबह 10:30 बजे शुरू होगी। इसके बाद सैन्य टुकड़ी लाल किले तक मार्च करती हुई जाएगी। मेजर जनरल ने आगे बताया कि इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह में हमारा फोकस आत्मनिर्भर भारत पर है। कर्तव्यपथ पर इस बार प्रदर्शित होने वाले सभी हथियार देश में बनाए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस बार सशस्त्र बल की आठ मार्चिंग टुकड़ियां शामिल होंगी। इसमें से छह थल तो एक-एक वायुसेना और नौसेना की टुकड़ी होगी। इसके अलावा पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स की टुकड़ियां भी इसमें शामिल होंगी। गणतंत्र दिवस समारोह का समापन दो घंटे 14 मिनट बाद यानी दोपहर 12:05 पर होगा।
क्या होगा खास?
इस गणतंत्र दिवस की परेड में सिर्फ मेड इन इंडिया यानी स्वदेशी हथियारों का ही प्रदर्शन होगा। यहां तक की प्रदर्शन होने वाला गोला-बारूद भी स्वदेशी होगा। पहली बार होगा जब भारत में बनी 105 एमएम इंडियन फील्ड गन से 21 तोपों की सलामी दी जाएगी। अब तक ये सलामी ब्रिटिश 21 पाउंडर गन से यह दी जाती रही है। इसके अलावा इस बार नए भर्ती हुए अग्निवीर भी परेड का हिस्सा बनेंगे। वहीं, बीएसएफ की कैमल कंटिन्जेंट के हिस्से के तौर पर महिला सैनिक भाग लेंगी और नौसेना के कंटिन्जेंट के 144 सैनिकों की लीडर भी महिला होगी।
1. K-9 वज्र हॉविट्जर्स: गुजरात के हजीरा में लार्सन एंड टूब्रो की फैक्टरी में मेक इन इंडिया के तहत तैयार हुआ स्वदेशी K-9 वज्र तोप का प्रदर्शन भी गणतंत्र दिवस पर होगा। इसे अभी लद्दाख में चीनी सीमा पर तैनात किया गया है। इस स्वचालित तोप की मारक क्षमता 38 किलोमीटर है लेकिन पूर्वी लद्दाख में 16 हजार फीट की ऊंचाई वाले इलाकों में इसने सफलतापूर्वक 50 किलोमीटर तक की दूरी तक मार की है। के-9 वज्र स्वचालित तोप दक्षिण कोरियाई हॉवित्जर के-9 थंडर का भारतीय संस्करण है। यह तोप अपनी जगह पर चारों तरफ घूमकर हमला कर सकती है। 155 एमएम/52 कैलिबर की 50 टन वजनी इस तोप से 47 किलो का गोला फेंका जा सकता है। यह सड़क और रेगिस्तान पर संचालन के साथ 15 सेकेंड में तीन गोले दागने में सक्षम है।
2. MBT अर्जुन टैंक : अर्जुन मेन बैटल टैंक यानी MBT भारतीय सेना का अहम हिस्सा है। इस स्वदेशी टैंक को डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने बनाया है। ‘अर्जुन मेन बैटल टैंक’ परियोजना की शुरुआत साल 1972 में की गई थी। अब तक इसके तीन वर्जन तैयार हो चुके हैं। अर्जुन ‘Mk1’ के बाद हाईटेक तकनीक का प्रयोग करते हुए ‘Mk1A’ और फिर ‘MkII को तैयार किया गया। अर्जुन मेन बैटल टैंक में स्वदेशी रूप से विकसित 120mm राइफल और आर्मर पियर्सिंग फिन-स्टैबिलाइज़्ड डिस्करिंग सबोट (FSAPDS) युद्धोपकरण शामिल हैं। ये टैंक अपनी रेंज में आने वाली सभी तरह के टैंकों को खत्म कर सकता है। इसे कंप्यूटर के जरिए मॉनिटर किया जा सकता है।