हाइलाइट्स
लिथियम ऑयन बैटरियां बनाने में पर्यावरण प्रदूषण बहुत होता है.
वृक्षों से मिलने वाले लिग्निम से एनोड बनाने में सफलता मिली है.
कई कंपनियां और संस्थान इस दिशा में काम कर रहे हैं.
नई दिल्ली. दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) और अन्य इलेक्ट्रिक उत्पादों की बढ़ती मांग से बैटरियों की डिमांड भी बढ़ गई है. इलेक्ट्रिक बैटरी (Battery) बनाने की प्रक्रिया और बैटरी को डिस्पोज ऑफ करने से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. इसी को देखते हुए अब दुनियाभर में बैटरी बनाने के लिए ऐसे पदार्थ और तरीके खोजे जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषण न हो. फिनलैंड की कंपनी स्टोरा एनसो (Stora Enso) ने पेड़ों से मिलने वाले लिग्निन (Lignin) नामक पदार्थ का इस्तेमाल कर बैटरी के अनिवार्य घटक एनोड बनाने में सफलता पाई है. खास बात यह है कि कागज बनाने के लिए काटे गए पेड़ों के बचे हुए अवशेषों से ही यह लिग्निन लिया जा रहा है. लिग्निन एनोड से बनी बैटरी 8 मिनट में ही फुल चार्ज हो जाती है.
स्टोरा एनसो का दावा है कि उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा प्राइवेट जंगल है. कंपनी कागज और पैकेजिंग मैटेरियल बनाती है. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से कागज की मांग में आई कमी को देखते हुए कंपनी ने आठ साल पहले ही अपने उगाए पेड़ों का उपयोग कागज के अलावा अन्य चीजें बनाने में करने के प्रयास शुरू कर दिए थे. कंपनी ने स्वीडिश कंपनी नॉर्थवोल्ट (Northvolt) के साथ साझेदारी में लिग्निन से बैटरी बनाने के लिए लिग्निोड (ligniod) नामक वेंचर शुरू किया है. स्टोरा एनसो और नॉर्थवोल्ट का इरादा वर्ष 2025 से लिग्निन से बनी बैटरियों का उत्पादन शुरू करने का है.
क्या है लिग्निन?
बीबीसी डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, लिग्नोड प्रमुख लॉरी लेहटन का कहना है कि लिग्निन (Lignin) पेड़ों में मौजूद गोंद जैसा पदार्थ है. सेल्युलोज फाइबर को एक साथ जोड़ता है. इससे पेड़ कठोर होता है. लिग्निन वो पॉलिमर है जिसमें कार्बन होता है. एनोड बनाने के लिए कार्बन बहुत अहम तत्व है. बैटरी में कैथोड और इलेक्ट्रोलाइट के साथ ही एनोड भी बहुत महत्ववूर्ण होता है. इसके बिना बैटरी नहीं बन सकती. मोबाइल में यूज होने वाली लिथियम आयन बैटरी में ग्रेफाइट एनोड होता है. यह कार्बन का ही एक रूप है. स्टोरा एनसो ने अपनी फैक्टरियों में कागज बनाने के बाद बची लुगदी (waste pulp) में से ही बैटरी एनोड्स बनाने के लिए लिग्निन निकालने का फैसला किया है. पेपर मिलें दुनिभाभर में बड़ी मात्रा में कचरे में रूप में लुगदी निकालती हैं. इससे लिग्निन निकालकर उसका उपयोग बैटरी बनाने सहित अन्य कामों में किया जा सकता है.
लिग्निन में हैं बहुत संभावनाएं
स्टोरा एनसो के अलावा भी कई कंपनियां और संस्थान पेड़ों में मिलने वाले लिग्निन से बैटरी बनाने का प्रयास कर रही हैं. स्वीडन की कंपनी ब्राइट डे ग्राफीन भी लिग्निन से ग्राफीन बनाने में जुटी है. यह भी कार्बन का ही एक प्रकार है जो लिग्निन से ही मिलता है. लंदन के इंपीरियल कॉलेज की एक टीम भी मैग्डा टिटिरिसी की अगुवाई में लिग्निन ड्राइव्ड एनोड्स पर रिसर्च कर रही है. मैग्डा की टीम का मानना है कि लिग्निन से मिले एनोड्स में अनियमित कार्बन संरचनाओं वाले प्रवाहकीय मैट बनाना संभव है, जिनमें काफी ऑक्सिजन रिच डिफेट्स हैं. इन डिफेक्ट्स में सोडियम आयन बैटरी के कैथोड से ट्रांसफर होने वाले आयन्स के ज्यादा मजबूत एनोड रिएक्टिविटी करने की क्षमता है. इससे बैटरी का चार्जिंग टाइम कम हो सकता है.
न्यूयार्क की रोचेस्टर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर व्याट टेनहैफ ने भी लिग्निन ड्राइव्ड एनोड्स लैबोरेट्री में बनाए हैं. उनका कहना है कि लिग्निन बहुत काम की चीज है. यह एक बायोप्रोडक्ट है. व्याट और उनकी अपने शोध में पाया कि लिग्निन का उपयोग सेल्फ सपोर्टिग स्ट्रक्चर वाले एनोड बनाने के लिए किया जा सकता है. इस एनोड को ग्लू या कॉपर से बने करंट कंट्रोलर की भी जरूरत नहीं पड़ती. वहीं, लिथियम ऑयन बैटरी में इसकी आवश्यकता होती है.
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Tags: Auto News, Electric vehicle, EV charging
FIRST PUBLISHED : January 24, 2023, 15:38 IST