khaskhabar.com : गुरुवार, 09 जुलाई 2020 6:54 PM
जयपुर। कानपुर गोलीकांड में आठ पुलिस की हत्या करने वाले ईनामी कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को मध्यप्रदेश पुलिस ने गुरुवार सुबह महाकाल मंदिर से गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल कर ली। पूछताछ में गैंगस्टर विकास दुबे ने कई चौकाने वाले खुलासे किए है, जिसमें एक यह है कि शवों को जलाकर वह सबूत मिटाने की योजना भी बना रहा था। उत्तरप्रदेश पुलिस कुख्यात विकास दुबे को लेकर आई है, जिससे पूछताछ की जा रही है।
गाड़ी पर लिखा था हाईकोर्ट
पुलिस प्रथमदृष्टया जांच में सामने आया है कि विकास दुबे उत्तर प्रदेश के नंबर प्लेट वाली एक गाड़ी से मध्यप्रदेश पहुंचा था। उस गाड़ी पर हाईकोर्ट लिखा हुआ है। इसी कारण वह आसानी से सीमा पार कर पाया। गाड़ी किसी मनोज यादव के नाम पर पंजीकृट बताई जा रही है। हालांकि उन्होंने विकास यादव से किसी भी तरह का कोई संबंध होने की बात नकारी है। हालांकि इस कार को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि अगर विकास दुबे इसी कार से महाकाल मंदिर तक पहुंचा तो लखनऊ से यह कार मध्य प्रदेश तक कैसे पहुंची? घटना के बाद ही पुलिस ने यूपी बॉर्डर सील कर दिया था। ऐसे में विकास दूसरे राज्य तक कैसे पहुंच गया।
फरीदाबाद में ऑटो से लेने आया था एक शख्स
लखनऊ में कौन है जो विकास दुबे की मदद कर रहा था और उसे कार मुहैया कराई। इससे पहले फरीदाबाद में भी जब विकास एक होटल के बाहर दिखा था तो सीसीटीवी फुटेज में नजर आया था कि वह सडक़ के किनारे पांच मिनट तक खड़ा होकर किसी का इंतजार करता रहा। इस दौरान ऑटो में बैठकर एक शख्स आया और उसने विकास को भी बैठा लिया। फिर दोनों वहां से निकल गए। उसके बाद विकास वहां से सीधे उज्जैन में नजर आया।
कानपुर में दोस्त के घर ठहरा
फरीदाबाद में पकड़े गए साथी ने बताया- 8 पुलिसवालों की हत्या के बाद दो दिन तक विकास दुबे कानपुर में एक दोस्त के घर ठहरा था। कानपुर के बिकरू गांव में दो जुलाई की रात हुए शूटआउट के दो दिन बाद तक मोस्ट वांटेड विकास दुबे शिवली में ही था। साथी बदमाश प्रभात ने बताया कि विकास और उसने रिश्तेदार शांति मिश्रा के घर में पनाह ली थी। लेकिन, विकास पुलिस के आने से कुछ घंटे पहले फरार हो गया था। वह विकास के साथ शूटआउट में शामिल था। वे घायल पुलिस वालों की दो पिस्टल और जिंदा कारतूस छीनकर मौके से फरार हो गए थे। फरार होने के बाद दो दिन तक दोस्त के घर शिवली में रहे थे।
मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला, जोर-जोर से चिल्लाया गैंगस्टर
उत्तर प्रदेश का कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे महाकाल मंदिर के बाहर खड़ा था। स्थानीय मीडिया जैसी हीं वहां पहुंची, तो विकास दुबे ने चिल्लाया मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला। जिसके बाद पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी की।
ऐसे पकड़े गए फरीदाबाद में आरोपी
फरीदाबाद पुलिस के मुताबिक, विकास दुबे के कुछ सहयोगियों के न्यू इंदिरा नगर कॉम्प्लेक्स में छिपे होने की सूचना मिली थी। इस पर एसीपी क्राइम अनिल यादव की टीम ने तीन और टीमों के साथ मिलकर एक घर पर छापा मारा। यहां से बिकरू के कार्तिकेय उर्फ प्रभात, फरीदाबाद के अंकुर और श्रवण को गिरफ्तार किया गया। प्रभात को अंकुर और उसके पिता श्रवण ने अपने घर में पनाह दी थी।
प्रभात के इनपुट पर अमर दुबे का हुआ एनकाउंटर
प्रभात का यह भी कहना है कि उसी ने अमर दुबे के हमीरपुर में होने की जानकारी पुलिस को दी थी। जिसके बाद बुधवार सुबह उसका हमीरपुर में मोदहा क्षेत्र में पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया। प्रभात को अदालत ने यूपी पुलिस की मांग पर ट्रांजिट रिमांड पर यूपी एसटीएफ के हवाले किया है। डीसीपी क्राइम ने बताया कि आरोपी के कब्जे से पुलिसकर्मियों से छिनी हुई 2 पिस्टल 9 एमएम और 2 देसी पिस्टल 9 एमएम सहित 44 जिंदा कारतूस बरामद हुए हैं।
विकास दुबे की गिरफ्तारी पर उसकी मां ने कहा
मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार किये गये कानपुर मुठभेड़ के आरोपी की मां ने कहा कि सरकार जो उचित समझे वह करे., हमारे कहने से कुछ नही होगा । मां ने कहा कि इतनी बड़ी सरकार, इस टाइम वह बीजेपी में है नहीं, वह सपा में है इस टाइम जब उनसे खासकर पूछा गया कि उनका बेटा दुबे किस पार्टी में है तो उन्होंने साफ साफ कहा कि वह सपा (समाजवादी पार्टी) में है।
किसे मिलेगी पांच लाख की इनामी राशि?
विकास को तो पकड़ लिया गया, लेकिन जिस तरह से उसकी गिरफ्तारी हुई है उसके बाद से सभी की नजर उसपर घोषित इनामी राशि पर टिक गई है। सभी के दिमाग में यही सवाल कौंध रहा है कि अब विकास दुबे के सिर पर घोषित पांच लाख रुपये की इनामी राशि किसे मिलेगी। कौन होगा उस राशि का हकदार? मालूम हो कि विकास पर पहले ढाई लाख रुपये का इनाम रखा गया था, जिसे उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को बढ़ाकर पांच लाख कर दिया था। अब जिस तरह से उसकी गिरफ्तारी हुई उसमें महाकाल मंदिर परिसर और सुरक्षागार्ड से लेकर मध्यप्रदेश पुलिस की भी अहम भूमिका रही। अब चर्चा यह है कि पांच लाख की इनामी राशि इनमें से किसे दी जाएगी। विकास को पकडऩे में मंदिर परिसर की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि सबसे पहले मंदिर के सुरक्षाकर्मी ने ही विकास दुबे को पहचाना था। सुरक्षाकर्मी लखन यादव का कहना है कि विकास के साथ दो-तीन अन्य लोग भी थे। जब लखन यादव को उनपर शक हुआ तो उनकी आठ लोगों की टीम ने विकास व उसके साथियों पर कुछ देर तक नजर रखी। उन्होंने ही पुलिस को सूचना दी जिसके बाद पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर उसे गिरफ्तार किया। मंदिर परिसर की ओर से देखा जाए तो सवाल यह उठ रहा है कि अगर सुरक्षाकर्मियों ने ध्यान नहीं दिया होता तो शायद विकास वहां से भी भाग निकलता।
एके 47 की थी हमले में इस्तेमाल :
विकास दुबे गैंग ने पुलिस टीम पर हमला करने में जो एके 47 इस्तेमाल की थी, वह कहीं दो फरवरी 2019 को इटवा थाने से गायब हुई एके 47 तो नहीं। कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद चल रही जांच में अपराधियों की ओर से एके 47 का इस्तेमाल किया जाने की बात सामने आने पर क्षेत्र में हडक़ंप मच गया है। कानपुर के बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात दबिश देने गई पुलिस पर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने खतरनाक हथियारों से हमला कर आठ पुलिसकर्मियों की जान ले ली थी। घटना के बाद जांच में जुटी फोरेंसिक टीम को मौके से एके 47 असॉल्ट राइफल के खोखे मिले थे। खोखे मिलने पर यह माना गया कि जिन हथियारों से पुलिस टीम पर गोलियां बरसाई गईं, उनमें एके 47 भी थी। यह जानकारी होने के बाद आशंका जताई जा रही है कि सिद्धार्थनगर जिले के इटवा थाने से गायब हुई एके 47 तो विकास दुबे के यहां नहीं पहुंच गई। यदि यह इटवा थाने से चोरी हुई एके 47 नहीं भी है तो अर्धसैनिक बल और पुलिस महकमे में विशेष ट्रेंड पुलिसकर्मियों को ही दी जानी वाली यह असॉल्ट राइफल विकास दुबे तक कैसे पहुंची, लोगों में यह जानने की जिज्ञासा है।
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Web Title-Rewarded notorious gangster Vikas Dubey arrested from Mahakal temple, plans to erase evidence by burning bodies